'यूथोपिया-2024' कार्यक्रम: किशोरों ने नाटक 'तो जाए कहाँ?' के माध्यम से दिया सशक्त संदेश
डब्ल्यूआरआई इंडिया, नई दिल्ली द्वारा फाउंडेशन बोटनार के समर्थन से आयोजित इस कार्यक्रम में किशोर बालक-बालिकाओं की सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित और समावेशी बनाने में सहभागिता सुनिश्चित करने पर चर्चा की गई।
शहर के सार्वजनिक स्थान किसी भी समुदाय की पहचान और संस्कृति के दिल होते हैं। ये जगहें न केवल लोगों को जोड़ती हैं, बल्कि परंपराओं और समुदायों को पनपने का अवसर भी प्रदान करती हैं। इन स्थानों को सुरक्षित, जीवंत और सभी के लिए सुलभ बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
इसी उद्देश्य को लेकर "यूथोपिया-2024" कार्यक्रम का आयोजन राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में किया गया। डब्ल्यूआरआई इंडिया, नई दिल्ली द्वारा फाउंडेशन बोटनार के समर्थन से आयोजित इस कार्यक्रम में किशोर बालक-बालिकाओं की सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित और समावेशी बनाने में सहभागिता सुनिश्चित करने पर चर्चा की गई।
इस कार्यक्रम में लगभग 100 किशोर, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि, नगर निगम के अधिकारी और समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ डब्ल्यूआरआई इंडिया की एसोसिएट डायरेक्टर प्रेरणा विजय कुमार मेहता ने परियोजना की जानकारी साझा करते हुए किया।
सुवेंदु कुमार साहू, अतिरिक्त आयुक्त, नगर निगम, भुवनेश्वर ने समावेशी सार्वजनिक स्थानों के सह-निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। वहीं, जयपुर नगर निगम के प्रतिनिधि गोसेन और आई-इंडिया की सचिव चारू गोस्वामी ने किशोरों के लिए एक विशेष लैब के निर्माण की आवश्यकता पर चर्चा की।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण किशोरों द्वारा प्रस्तुत लघु नाटक "तो जाए कहाँ?" रहा, जिसने दर्शकों को सार्वजनिक स्थानों की महत्ता और चुनौतियों के प्रति जागरूक किया। इस रचनात्मक प्रस्तुति ने सभी प्रतिभागियों को प्रेरित किया और कार्यक्रम को एक सार्थक दिशा दी।