मसाई स्कूल ने एक ऐसा मंच तैयार किया है, जो विद्यार्थियों के सपनों को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह संस्थान अब तक 5,000 से अधिक छात्रों को सफलता की राह पर ले जा चुका है। अपने नतीजों पर केंद्रित कॅरियर संस्थान के रूप में, मसाई स्कूल ने 100 से अधिक बैचेस को प्रशिक्षित किया है और पिछले कुछ वर्षों में 6,000 से अधिक एनरोलमेंट्स के साथ अपनी पहुंच बढ़ाई है। इस महीने, मसाई स्कूल अपने पांच साल पूरे कर रहा है और यह भारत की शिक्षा प्रणाली को नतीजों पर आधारित बनाकर मानवीय क्षमता को सामने लाने के अपने एकमात्र लक्ष्य को हासिल करने में सफल हुआ है।
उदयपुर के चिराग जैन का सफर प्रेरणादायक है। गणित में महारत हासिल करने वाले चिराग को आर्थिक चुनौतियों के चलते आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों में दाखिला नहीं मिल पाया। हालांकि, उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। कंप्यूटर की बढ़ती लोकप्रियता के बीच, उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर टेक महिंद्रा में एक कॉर्पोरेट नौकरी हासिल की। लेकिन यहां उन्हें संतोष नहीं मिला और उन्होंने IIT-JEE की तैयारी करने वालों को पढ़ाना शुरू किया। इसी दौरान, सोशल मीडिया पर उनका रचनात्मक पक्ष उभरकर सामने आया, जब उन्होंने "ज़ोलू" नाम का एक किरदार बनाकर टिकटॉक पर 2 मिलियन फॉलोअर्स जुटा लिए। लेकिन, जब टिकटॉक भारत में बैन हो गया, तो चिराग को व्यक्तिगत और पेशेवर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
यही वह समय था जब चिराग को मसाई स्कूल का रास्ता मिला। यहां उन्होंने एचटीएमएल, सीएसएस और जावास्क्रिप्ट जैसी तकनीकें सीखीं, जिसने उनके आत्मविश्वास को नई ऊंचाइयां दीं। कठिन प्रशिक्षण के बाद, वे असर्शन क्लाउड में जावा डेवलपर बने और फिर मसाई स्कूल में कंटेंट क्रिएशन स्पेशलिस्ट बन गए। मसाई के सर्वांगीण दृष्टिकोण ने चिराग की तकनीकी क्षमताओं को निखारा और उनके जीवन को सही दिशा दी। चिराग ने कहा, "मसाई स्कूल मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था। इसने मुझे स्पष्टता, योजना और कौशल दिए, जिन्होंने मेरी जिंदगी बदल दी। टिकटॉक पर बैन के बाद सब-कुछ खो जाने की भावना से उबरकर, मसाई स्कूल ने मेरे सफर को एक नया आकार दिया और मुझे आत्मविश्वास से भरपूर एक डेवलपर बना दिया।"
जयपुर के आकाश कुमावत की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। आर्थिक तंगी के कारण आकाश सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का सपना पूरा नहीं कर सके और बीए की डिग्री लेकर सरकारी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। इसी दौरान उन्हें इंटरनेट पर मसाई स्कूल के बारे में जानकारी मिली, जिसने उन्हें नए सपने देखने की प्रेरणा दी।
शुरुआती संकोच के बावजूद, आकाश ने मसाई के पार्ट-टाइम कोर्स में दाखिला लिया और अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी की। कोर्स के दौरान उन्हें अपनी ताकत और कमजोरियों का सही अंदाजा हुआ। कंस्ट्रक्ट वीक के दौरान उन्होंने नई सीखी कुशलताओं का इस्तेमाल असल दुनिया की समस्याओं को सुलझाने में किया। मसाई के फोकस्ड रिविजन मॉड्यूल ने उन्हें जॉब प्लेसमेंट के लिए तैयार कर दिया, जिससे उन्होंने ट्रैक्सन में नौकरी हासिल की।
अपने सफर को याद करते हुए, आकाश दूसरों से भी मसाई स्कूल से जुड़ने का आग्रह करते हैं। मसाई में मिले अनुभव से कोडिंग के लिये उनकी लगन दोबारा जागी और उनकी जिन्दगी ही बदल गई। उन्होंने साबित किया कि सही मार्गदर्शन से अपस्किलिंग संभव है। आकाश का कहना है, "मसाई ने मेरी कोडिंग के प्रति लगन को फिर से जगा दिया, जब मुझे कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। यह सफर चुनौतीपूर्ण था, लेकिन हर पल कीमती था। अगर आप प्रतिबद्ध रहें, तो मसाई स्कूल सचमुच आपकी जिन्दगी बदल सकता है। "
राहुल तुलस्यान की कहानी भी बहुत प्रेरक है। राहुल राष्ट्रीय-स्तर के बास्केटबॉल खिलाड़ी और वायलिनिस्ट हैं। बिहार से ताल्लुक रखने वाले राहुल भीलवाड़ा, राजस्थान में पले-बढ़े। एक सफल उद्यमी के बेटे राहुल ने वीआईटी, पुणे से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। एनआईटी में जाना उनका सपना था। लेकिन ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने अपने पारिवारिक कपड़ा व्यवसाय में हाथ बंटाना शुरू किया और तकनीकी क्षेत्र की अपनी आकांक्षाओं को रोक दिया।
कुछ सालों बाद, राहुल ने अपने पिता से कहा कि वे तकनीकी क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। हालांकि, पुराने ज्ञान के आधार पर वे इस क्षेत्र में नौकरी पाने में असमर्थ रहे। उस वक्त मसाई स्कूल की फंडिंग पर एक न्यूज आर्टिकल के माध्यम से 2019 में उन्हें मसाई स्कूल के बारे में पता चला। इनकम शेयर एग्रीमेंट (आईएसए) के नये मॉडल और व्यावहारिक पढ़ाई के वादे ने उनकी लगन को दोबारा जगाया।
मसाई के पार्ट-टाइम कोर्स में दाखिला लेते हुए, राहुल ने अपने पारिवारिक दायित्वों को भी निभाया और अपनी तकनीकी और व्यावहारिक कुशलताओं को निखारा। उन्होंने ओएलएक्स के साथ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम किया और बैकएंड डेवलपमेंट में अपनी क्षमताओं का विस्तार किया। सैद्धांतिक ज्ञान को प्रयोग में लाकर उन्होंने स्प्रिंग बूट के साथ डीएसए को सॉल्व किया और एडब्ल्यूएस पर प्रोजेक्ट डाले। उद्योग विशेषज्ञों के साथ बातचीत ने उन्हें मार्गदर्शन और संरक्षण प्रदान किया, जिससे वे पगारबुक में जूनियर एसडीई बन सके। राहुल का कहना है, "मसाई स्कूल ने मुझे तकनीकी क्षेत्र में अपने सपनों को पूरा करने का दूसरा मौका दिया। व्यावहारिक पढ़ाई और लगातार सहयोग से यह सारा बदलाव हुआ। अच्छी शुरूआत कभी भी की जा सकती है और मसाई स्कूल ने मुझे यह साबित कर दिखाया है।“
मसाई स्कूल के सह-संस्थापक और सीईओ, प्रतीक शुक्ला ने मसाई स्कूल के मिशन के बारे में बात करते हुए कहा, "हमारा उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जो विद्यार्थियों के कौशल को निखारते हुए उनकी पूर्ण क्षमता को उजागर कर सके, ताकि वे निश्चित परिणाम हासिल कर सकें। हम लगातार नई-नई योजनाएं लाने और स्थापित कंपनियों के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि हमारी टीमों का विस्तार हो सके और विद्यार्थियों के लिए अधिक अवसर पैदा हों। हम शिक्षा के परितंत्र को प्रगतिशील तरीके से बदलने की दिशा में सोचते हैं।"
उद्योग की प्रमुख कंपनियों के साथ साझेदारी के अलावा, मसाई स्कूल ने तीन प्रमुख आईआईटी संस्थानों—आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मंडी, और आईआईटी रोपड़—के साथ भी गठजोड़ किया है। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ भी इसकी भागीदारी है, जिससे नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं और बाधाएं दूर हो रही हैं।